उमस भरी गर्मी से कैसे बचें

गर्मी और बरसात की उमस में पसीना बहाना बेहद आसान है। फिर भी लोग चाहते हैं कि जितना हो सके इससे बचें। वे या तो पंखे के नीचे बैठना पसंद करते हैं या फिर एसी हो तो कहने ही क्या। गर्मी के उमस भरे दिनों में अक्सर सुनने
 में आता है कि मारे गर्मी के बुरा हाल है। अगर हर रोज थोड़ी देर पसीना बहाएंगे तो कई मुसीबतों से बचे रहेंगे। न तो बेवजह बुखार परेशान करेगा और न उमस से होने वाली घबराहट ही होगी। जितना ज्यादा आप एसी का इस्तेमाल गर्मी से बचने के लिए करेंगे, उतना ही पसीना कम निकलेगा। और पसीना कम निकला तो समझ लीजिए कि आप फंस गए मुसीबत में।खूब पानी और देशी शरबत और पेय पदार्थ पियें
अजवाइन के पावडर को रात भर तिल के तेल में भीगा कर रखें और सुबह सेवन करे . इससे हाथ -पैरों में पसीना नहीं आयेगा .
त्वचा की समस्याओं से बचने के लिए गुलाब की पंखुड़ी (१०० ग्रा .) ,मुल्तानी मिटटी (१०० ग्रा. ),हल्दी (२५ ग्रा. ) ,चन्दन पावडर ( ५० ग्रा . ),मिलाकर पेस्ट बना कर लगाए . १५ -२० मि . बाद धो डाले .बच्चों के लिए हल्दी और बेसन भी ले सकते है . फोड़े फुंसियां होने पर थोड़ी नीम की पट्टियां भी किला ले .
आँखों में गुलाब जल डाले और सोते समय दूध के साथ आमलकी रसायन ले .
पेट को ठीक रखने के लिए बेल मुरब्बा ले और हफ्ते में एक दिन दही के साथ इसबगोल ले . अगर रात में लेना हो तो दूध के साथ ले .
नाक में १-२ बूँद सरसों के तेल की डाले .
गर्मी और उमस वाले वातावरण में ज्यादा भोजन न करें। नॉनवेज या मटन करी और ऐसे ही पदार्थ लेने से बचें। रेड मीट न लें।

ज्यादा तला और घी वाला खाना न खाएं। सादा और उबला हुआ भोजन ही लें।
गोभी, आलू जैसी सब्जियों के बजाय तोरी, भिंडी, लौकी आदि मौसमी सब्जियां खाएं।

एक बार भरपेट खाने की बजाय थोड़ा-थोड़ा खाना कई बार में खाएं।
ज़्यादा नमी से बाल झड़ने लगते है . इसलिए हर दुसरे दिन खट्टे छाछ से बाल धोये .
वरुण मुद्रा का प्रयोग करें। इसके लिए हाथ के अंगूठे और कनिष्ठिका (सबसे छोटी) उंगली की टिप्स को मिला लें और बाकी तीन उंगलियां सीधी रखें। इसका उपयोग करने से शरीर में पानी की कमी नियंत्रित होने लगती है। इसे कभी भी किया जा सकता है। वैसे तो बैठकर करें पर चलते-फिरते भी इसे कर सकते हैं। इससे पानी की कमी के कारण बेहोश होने जैसी स्थिति नहीं आएगी। यह मुद्रा बेहोश व्यक्ति को भी करा सकते हैं। स्थिति नियंत्रण में आ सकती है।
इसके अलावा शीतकारी क्रिया करें। इसके लिए जीभ को रोल की तरह लपेटकर तालू से लगा दें और खुले मुंह से सांस लें और नाक से छोड़ दें। दो-तीन मिनट ऐसा करने पर गला तर हो जाएगा और पानी की कमी महसूस नहीं होगी। इस प्राणायाम को कभी भी किया जा सकता है।
यदि शरीर को ठंडा रखना चाहें और उमस के प्रभाव से बचना चाहें तो जीभ को सीटी बजाने की मुद्रा में या नाली की तरह गोल करके मुंह से अंदर सांस खींचें। ठोड़ी को छाती से लगाएं। दो-से चार सेकंड तक अंदर ही सांस रोकर रखें और बाद में ठोड़ी ऊपर करते हुए नाक के जरिए सांस छोड़ दें। इसे शीतकारी प्राणायाम कुम्भक कहते हैं। यह क्रिया या तो खाली पेट की जाए या खाने के तीन घंटे बाद। इससे गर्मियों में शरीर में ठंडक महसूस होती है।