नीम के औषधीय गुण

चैत नवरात्री हमारे लिए नववर्ष का शुभारम्भ होता है | तब दादी माँ के नुस्खे यानि स्वास्थ्य रीती व परम्परानुसार नीम के रस का सेवन ९ दिनों तक प्रातः ही करना चाहिए ताकि हम पुरे वर्ष चुस्त व तंदुरुस्त रहें | वैसे किसी भी मौसम में नीम के पत्ते हमारे शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होता है |
निम्ब शीतों लघुग्राही कतुर कोअग्नी वातनुत |
अध्यः श्रमतुटकास ज्वरारुचिक्रिमी प्रणतु ||
नीम शीतल, हल्का, ग्राही पाक में चरपरा, ह्रदय को प्रिय, अग्नि, वाट, परिश्रम, तृषा, अरुचि, क्रीमी, व्रण, काफ, वामन, कोढ़ और विभिन्न प्रमेह को नष्ट करता है |
चैत नवरात्रि पर नीम के कोमल पत्ते होते है, इसिलए इसके कोमल पत्तों को पानी में घोलकर सील बट्टे या मिक्सी में पीसकर इसकी गोली तैयार कर ले, इसमें थोडा नमक और कुछ काली मिर्च डालकर उसे ग्राह्य योग्य बनाया जाता है |
इस गोली को कपडे में छाना जाता है, छाना हुआ पानी गाढ़ा या पतला कर प्रातः खली पेट एक कप से एक गिलास तक सेवन करना चाहिए | या तो इसकी कोमल पत्तिया हलके से चबा कर पानी के साथ निगल लें| लगातार ९ दिनों तक इसी अनुपात में लेने से पुरे साल की स्वास्थ्य गारंटी हो जाती है |

सही मायने में चैत्र नवरात्री स्वास्थ्य नवरात्री है | यह इन दिनों बच्चों के चेचक से बचाता है यह रस एंटीसेप्टिक, एंटी बेक्टेरियल, एंटीवायरल, एंटीवर्म, एंटीएलर्जिक, एंटीट्यूमर आदि गुणों से भरपूर है | ऐसे सर्वगुण संपन्न अनमोल नीम रूपी स्वास्थ्य रस का उपयोग प्रत्येक व्यक्ति को चैत्र नवरात्री में करना चाहिए , जिन लोगों को बार बार बुखार और मलेरिया का संक्रमण होता है उनके लिए यह रामवाण औषधि है |
वैसे तो आप प्रतिदिन पांच ताज़ा नीम की पत्तियां चबा ले तो अच्छा है, प्रतिदिन इसका प्रयोग करने पर मधुमेह रोगियों के रक्त शर्करा का स्तर कम हो जाता है |
नीम स्वाभाव से कड़वा जरुर होता है परन्तु इसके औषधीय गुण बड़े ही मीठे होते है, तभी तो नीम के बारे में कहा जाता है की ' एक नीम और सौ हकीम दोनों बराबर है | इसमें कई तरह के कड़वे परन्तु स्वास्थ्यवर्धक पदार्थ होते है , जिनमे मार्गोसिं, निम्बिडीन, निम्बेस्टेरोल प्रमुख है | नीम के वृक्ष के नीचे बहुत ठंडक होती है .